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Karnataka 1st PUC Hindi Textbook Answers Sahitya Vaibhav Chapter 8 नालायक

नालायक Questions and Answers, Notes, Summary

I. एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए :

प्रश्न 1.
कितने अनट्रेण्ड अध्यापकों का चुनाव था?
उत्तरः
तीन सौ अनट्रेण्ड अध्यापकों का चुनाव था।

प्रश्न 2.
कितने उम्मीदवार आये थे?
उत्तरः
दस हजार उम्मीदवार आये थे।

प्रश्न 3.
प्रति उम्मीदवार के पीछे कितनी सिफारिशें आयी थीं?
उत्तरः
प्रति उम्मीदवार के पीछे लगभग 5 – 6 सिफारिशें आयी थीं।

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प्रश्न 4.
ज्योतिषी कहाँ पर बैठे थे?
उत्तरः
ज्योतिषी फुटपाथ पर बैठे थे।

प्रश्न 5.
पुलिस की कितनी गाड़ियाँ आयी थीं?
उत्तरः
पुलिस की दो गाड़ियाँ आई थीं।

प्रश्न 6.
किसका नाम सभापति के लिए प्रस्तावित किया गया?
उत्तरः
श्री रघुपति राघव का नाम सभापति के लिए प्रस्तावित किया गया।

प्रश्न 7.
‘नालायक’ पाठ के लेखक कौन हैं?
उत्तरः
‘नालायक’ पाठ के लेखक विवेकी राय हैं।

अतिरिक्त प्रश्नः

प्रश्न 8.
उम्मीदवारों में कौन अधिक संख्या में थे?
उत्तरः
उम्मीदवारों में थर्ड डिवीजनर अधिक संख्या में थे।

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प्रश्न 9.
लेखक के पास पहुंचे हुए उम्मीदवार किस डिविजन में पास है?
उत्तरः
लेखक के पास पहुंचे हुए उम्मीदवार थर्ड डिविजन में पास है।

प्रश्न 10.
अध्यापकों के चुनाव की कार्रवाई शुरू होने में कितनी देरी थी?
उत्तरः
अध्यापकों के चुनाव की कार्रवाई शुरू होने में एक घण्टे की देरी थी।

प्रश्न 11.
नया स्टाक लाने के लिए कौन शहर की ओर दौड़े?
उत्तरः
दुकानदार नया स्टाक लाने के लिए शहर की ओर दौड़े।

प्रश्न 12.
किसकी सहायता से खाँचियों में शिफारिशी पत्र डालने का कार्य सम्पन्न हुआ?
उत्तरः
पुलिस की सहायता से खाँचियों में शिफारिशी पत्र डालने का कार्य सम्पन्न हुआ।

प्रश्न 13.
सभी थर्ड डिविजनर कहाँ पर एकत्र हुए?
उत्तरः
शहर के बाहर लगभग डेढ़ मील दूर नदी के किनारे एक बगीचे में सभी थर्ड डिविजनर एकत्र हुए।

प्रश्न 14.
अत्यंत गुप्त रूप से क्या ज्ञात हुआ?
उत्तरः
अत्यंत गुप्त रूप से ज्ञात हुआ कि शहर के बाहर जहाँ पुलिस और सी.आई.डी. वाले न पहुँच सके वहाँ कॉन्फ्रेन्स होगी।

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प्रश्न 15.
कौन-सा नारा बहुत देर तक दुहराया गया?
उत्तरः
‘किसको मिले मास्टरी चाँस, थर्ड डिवीजन मैट्रिक पास’ – यह नारा बहुत देर तक दुहराया गया।

II. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिएः

प्रश्न 1.
अनट्रेण्ड अध्यापकों के चुनाव के माहौल का वर्णन कीजिए।
उत्तरः
उस दिन जिला परिषद में प्राइमरी स्कूलों के लिए अनट्रेण्ड अध्यापकों का चुनाव था। उसमें तीन सौ अध्यापक चुने जानेवाले थे। दस हजार उम्मीद्वार आये थे। हर एक उम्मीद्वार के साथ लगभग 5-6 सिफारिश करनेवाले थे। दर्शक भी काफी थे और वह एक मेला जैसा लग रहा था। अनट्रेण्ड अध्यापकों के चुनाव के लिए शहर में सुबह से ही इतनी भीड़ लग गई थी कि मानो कुंभ का मेला लग गया हो। सड़कों पर लोगों की चहल-पहल और शोरगुल शुरू हो गया था। ऐसा लग रहा था कि किसी नेता को देखने भीड़ इकट्ठी हो रही है।

प्रश्न 2.
जिला परिषद के बाहर का दृश्य प्रस्तुत कीजिए।
उत्तरः
जिला परिषद में प्राइमरी स्कूलों के लिए अनट्रेण्ड अध्यापकों की नियुक्ति होनी थी। इसलिए जिला परिषद् के बाहर अपार जनसागर उमड़कर जमा हो गया था। प्रवेश-द्वार से लेकर बाहर आँगन, लान, मैदान, चौक, सड़क और लगभग दो-तीन फर्लाग तक ठसमठस आदमी भरे हैं, किसी को पता नहीं कि क्यों खड़े हैं, बस खड़े हैं। जो पहले आये वे पहले से फाटक की ओर खड़े होते गए। जो आगे थे उनका निकलना कठिन हो रहा था। भीतर परिषद कार्यालय था, जो बन्द था।

प्रश्न 3.
लाउड स्पीकर से क्या घोषणा की जा रही थी?
उत्तरः
चेयरमैन साहब के बंगले के बाहर भीड़ जमा होने के कारण, पुलिस की गाड़ियाँ भीड़ को नियंत्रित करने पहुंची। लाउड़ स्पीकर से घोषणा की जाने लगी कि “सज्जनों, ज्ञात हुआ है कि आप लोग थर्ड डिवीजनरों के सिफारिशी हैं। आप लोगों को बहुत समझाया गया कि सिफारिश से काम नहीं चलेगा, परन्तु आप लोग मानते ही नहीं हैं। अब स्कूल-मास्टर के लिए थर्ड डिवीजनर्स नहीं लिए जायेंगे। यदि आप लोग बिना उस सिफारिशी कागज को दिये टलनेवाले नहीं हैं तो दे दीजिये। पचास व्यक्ति खांची लेकर तैनात किये जाते हैं। इन्हीं खांचियों में डाल दें।”

प्रश्न 4.
दौड़ कर आते हुए उम्मीदवार ने क्या कहा?
उत्तरः
दौड़कर आते हुए उम्मीदवार ने गुस्से में कहा – “साहब लोग कहते हैं कि अध्यापक पद के लिए थर्ड डिविजनर नहीं लिये जाएँगे। क्यों नहीं लिये जायेंगे? जिसका ज्यादा वोट होगा, उसे लिया जायेगा। हम सभी फर्स्ट और सेकेंड डिवीजनर के खिलाफ़ आंदोलन करेंगे।”

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प्रश्न 5.
थर्ड डिवीजनरों की व्यथा को प्रकट कीजिए।
उत्तरः
थर्ड डिवीजनरों का जीवन नरक के समान होता है। उनके लिए हर कहीं दरवाजा बंद रहता है जैसे वे आदमी नहीं, बैल हैं। उनकी उपेक्षा होती है। उन्हें नौकरी के लिए नाक रगड़नी पड़ती है। कदम, कदम पर निराशा होती है। अतः थर्ड डिविजनवालों को नालायक समझकर कोई नौकरी नहीं देता।

अतिरिक्त प्रश्नः

प्रश्न 6.
चबूतरे पर खड़े युवक ने क्या भाषण दिया?
उत्तरः
चबूतरे पर खड़े युवक ने ‘थर्ड डिवीजनर्स’ की कॉन्फ्रेन्स में ‘करो या मरो’ का नारा दिया। उसने कहा हमने स्कूल की फीस दी, परीक्षा दी। परीक्षा में थर्ड डिवीजन आया तो यह सरकार, स्कूल एवं स्कूल अधिकारियों का दोष है। हम लोगों को जिन्होंने थर्ड क्लास का बताया, वे अपराधी हैं, चोर है। इन्होंने हमारा जीवन नरक बना दिया है। जैसे हम आदमी नहीं बैल हैं। यह प्रजातंत्र का युग है। अगर निरक्षर एम.एल.ए. हो सकता है तो थर्ड डिवीजन अध्यापक क्यों नहीं हो सकता। हमें इसके लिए आन्दोलन करना होगा।

प्रश्न 7.
चैयरमैन साहब के बँगले पर का दृश्य प्रस्तुत कीजिए।
उत्तरः
चैयरमैन साहब के बंगले पर जिला परिषद के कार्यालय से भी दूनी भीड़ जमा थी। मैदान में लोग ज्वार बाजरे की तरह खड़े थे। जैसे चुनाव के समय पोलिंग स्टेशनों पर बातें होती है वैसी ही बातें यहाँ भी हो रही थी। सबके हाथों में सिफारिशी कागज थे। सभी लोगों की निगाहें चैयरमैन साहब के बंगले की ओर थी।

प्रश्न 8.
परिषद कार्यालय बंद रहने से उम्मीदवार क्या सोच रहे थे?
उत्तरः
सभी बेरोजगार परिषद कार्यालय के प्रवेश द्वार पर खड़े थे। परिषद कार्यालय बंद था। यह रहस्य का विषय था। सबको इसमें रहस्य लग रहा था। शायद अन्दर कुछ हो रहा हो। सब यही सोच रहे थे। सब लोग प्रवेश द्वार पर ही जमे हैं कि कहीं बाहर गये और इधर कहीं कुछ हो न जाए।

प्रश्न 9.
शिफारिश करने का तरीका क्या था?
उत्तरः
सिफारिश के लिए एक कागज पर उम्मीदवार का नाम, गांव का नाम एवं शिक्षा संबंधी जानकारी लिखी गयी। उस कागज के नीचे सिफारिश. करने वालों ने अपने-अपने हस्ताक्षर किया।

प्रश्न 10.
‘यह कैसा कुम्भ पर्व कुछ पहले ही यहाँ आ गया? लेखक किसके बारे में कह रहे हैं?
उत्तरः
जनवरी महीने की शीतलहर में शहर में अचानक असाधारण भीड़ बढ़ गयी थी। इस भीड़ को देखकर लेखक कहते हैं- ‘यह कैसा कुम्भ पर्व कुछ अरसे पहले ही यहाँ आ गया?’

III. निम्नलिखित वाक्य किसने किससे कहे?

प्रश्न 1.
आपका उम्मीदवार किस डिवीजन में पास है?
उत्तरः
यह वाक्य लेखक ने एक उम्मीदवार से कहा।

प्रश्न 2.
थर्ड डिवीजनर के लिए दुनिया में कोई जगह नहीं है।
उत्तरः
यह वाक्य लेखक ने सिफारिशी लोगों से कहा।

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प्रश्न 3.
ये लोग हम लोगों का हक मार रहे हैं।
उत्तरः
यह वाक्य नौकरी के लिए आए एक थर्ड डिविजन उम्मीदवार ने लेखक से कहा।

प्रश्न 4.
हमारे लिए हर जगह दरवाजा बंद है।
उत्तरः
यह वाक्य एक थर्ड डिविजनर युवक ने बाकी थर्ड डिविजनर युवकों से कहा।

अतिरिक्त प्रश्नः

प्रश्न 5.
“हाँ, चलिए आपके साथ चल सकता हूँ।”
उत्तरः
लेखक विवेकी राय ने उम्मीदवार से कहा।

प्रश्न 6.
“हम लोग फर्ट और सेकंड डिवीजन वालों के खिलाफ आंदोलन करेंगे।
उत्तरः
थर्ड डिवीजन पास एक उम्मीदवार ने अन्य उम्मीदवार साथियों से कहा।

IV. ससंदर्भ स्पष्टीकरण कीजिए:

प्रश्न 1.
जीवन में पहली बार सिफारिश का यह तरीका जाना।
उत्तरः
प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘नालायक’ पाठ से लिया गया है जिसके लेखक विवेकी राय हैं।
संदर्भ : स्कूलों के लिए अध्यापक के चुनाव के लिए आए उम्मीदवारों के साथ उनके शिफारिश करनेवाले तथा साथ में एक कागज पर उम्मीदवार का नाम, ग्राम, शिक्षा आदि लिखकर हस्ताक्षर किए थे।
स्पष्टीकरण : पता चला कि थर्ड डिविजनर्स को प्राइमरी अध्यापक की नौकरी नहीं दे रहे हैं, तो जो युवक उम्मीद लगाए बैठे थे, वे गुस्से में लाल-पीले होकर जवानों की तरह लड़ने-मारने को तैयार हो गए।

प्रश्न 2.
सुबह का सिकुड़ा वह बालक अब तनकर जवान की तरह लग रहा था।
उत्तरः
प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘नालायक’ पाठ से लिया गया है जिसके लेखक विवेकी राय हैं। .
संदर्भ : एक उम्मीदवार दौड़ता हुआ लेखक के पास आया और उसने कहा – लोग कह रहें है कि थर्ड डिवीजनर्स को नहीं लेंगे। हम आन्दोलन करेंगे।
स्पष्टीकरण : सुबह जो उम्मीदवार लेखक के पास आया था, वही दौड़ता हुआ लेखक के पास आया और उसने कहा – कि लोग कहते हैं वे थर्ड डिवीजनर्स को नहीं लेंगे? हम फर्स्ट डिवीजन और सेकेण्ड डिवीजन वालों के खिलाफ आंदोलन करेंगे। वे हमारा हक मार रहे है, यही बालक जो सुबह से सिकुड़ा बैठा था अब वह तनकर जवान की तरह बातें कह रहा है।

प्रश्न 3.
हम हरगिज़ नहीं मानते कि कागज की तीन लकीरों के कारण हम लोग नालायक हैं।
उत्तरः
प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘नालायक’ पाठ से लिया गया है जिसके लेखक विवेकी राय हैं।
संदर्भ : इस वाक्य को मंच पर खड़े युवा उम्मीदवार ने कहा। अंको के आधार पर नहीं बल्कि प्रतिभा के आधार पर युवकों को नौकरी मिलनी चाहिए।
स्पष्टीकरण : जब थर्ड डिविजनरों को खारिज कर दिया गया, तो वे लोग इसका दोष शिक्षाविभाग तथा अध्यापकों पर डालने लगे। सिर्फ कागज पर थर्ड डिविजन लिख देने से हम नालायक हो गए क्या? नहीं।

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प्रश्न 4.
किसको मिले मास्टरी चाँस, थर्ड डिवीज़न मैट्रिक पास।
उत्तरः
प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘नालायक’ पाठ से लिया गया है जिसके लेखक विवेकी राय हैं।
संदर्भ : थर्ड डिवीजन वालों को नालायक समझकर कोई नौकरी नहीं देता। फर्स्ट और सेकेण्ड डिवीजन वालों के खिलाफ उनका आंदोलन होता है। उसी में यह नारा लगाते हुए लेखक ने यह नारा सुना।
स्पष्टीकरण : थर्ड डिवीजनरों के अधिकार छिन जाने से वे उत्तेजित हो गए और सभी मिलकर ‘थर्ड डिविजनर्स जिंदाबाद’ के नारे लगाते हुए आन्दोलन पर उतर गए।

अतिरिक्त प्रश्नः

प्रश्न 5.
“शिक्षा का स्तर गिर रहा है। उसे अब और नहीं गिरने दिया जायेगा।”
उत्तरः
प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘नालायक’ पाठ से लिया गया है। इसके लेखक विवेकी राय हैं।
संदर्भ : लेखक यह बात थर्ड डिवीजनर लोगों को कहते है।
स्पष्टीकरण : लेखक के यहाँ एक उम्मीदवार और उसके चार सिफारिशी पहुंच गए। थर्ड डिवीजनर ने लेखक से कहा – दुनिया में कोई जगह हो चाहे न हो, पर स्कूल मास्टर की जगह तो रिजर्व है। तब लेखक जवाब देते हैं कि आप लोग गलत समझते है। अब योग्य लोगों को अध्यापक के रूप में भरती किया जायेगा। शिक्षा का स्तर गिर रहा है। उसे अब और नहीं गिरने दिया जाएगा।

प्रश्न 6.
“ये लोग आज उल्टा चोर कोतवाल को डांटे’ की कहावत चरितार्थ कर रहे हैं।”
उत्तरः
प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘नालायक’ पाठ से लिया गया है। इसके लेखक विवेकी राय हैं।
संदर्भ : एक युवक ने थर्ड डिवीजनर्स की मीटिंग में भाषण देते हुए कहा।
स्पष्टीकरण : काली माई के टूटे चबूतरे से थर्ड डिवीजनर बेरोजगारों को संबोधित करते हुए एक युवक कह रहा है- हमने फीस दी, परीक्षा दी और अगर हमारा थर्ड डिवीजन आया तो इसमें स्कूल का दोष है। हम लोग इन संस्थानों और लोगों पर मुकदमा कायम करेंगे। हम लोग फर्स्ट क्लास के आदमी हैं। हम लोगों को जिन्होंने थर्ड क्लास का बनाया, वे अपराधी हैं, चोर हैं। ये लोग आज ‘उल्टा चोर कोतवाल को डांटे’ की कहावत चरितार्थ कर रहे हैं।

प्रश्न 7.
“सो मैं पाँच वर्ष फेल होकर छठे साल के हाईस्कूल में थर्ड डिवीजनर भाई श्री रघुपतिराघव का नाम आज की सभा के लिए प्रस्तावित करता हूँ।”
उत्तरः
प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘नालायक’ पाठ से लिया गया। है। इसके लेखक विवेकी राय हैं।
संदर्भ : थर्ड डिवीजनर्स की मीटिंग में बोलते हुए युवक ने यह घोषणा की।
स्पष्टीकरण : जब थर्ड डिवीजनर्स को अध्यापक की नौकरी के लिए अयोग्य घोषित कर दिया तब वे शहर में काली माई के टूटे चबूतरे के पास इकट्ठे हुए। उन युवकों में से एक युवक चबूतरे पर खड़े होकर भाषण देने लगा। उसने अपने भाषण के अंत में थर्ड डिवीजनर्स की सभा के लिए सभापति के रूप में पाँच वर्ष फेल होकर छठे साल के हाईस्कूल में थर्ड डिवीजनर भाई श्री रघुपति । राघव का नाम प्रस्तावित किया।

प्रश्न 8.
“आज हम थर्ड डिवीजनर्स कॉन्फ्रेन्स में ‘करो या मरो’ का नारा लगाएँगे और जीवन का संकल्प लेंगे।”
उत्तरः
प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘नालायक’ पाठ से लिया गया है। इसके लेखक विवेकी राय हैं।
संदर्भ : काली माई के टूटे चबूतरे पर खड़े होकर भाषण देने वाले युवक ने कहा।
स्पष्टीकरण : युवक ने थर्ड डिवीजनर्स की कान्फ्रेंस में युवाओं को संबोधित करते हुए कहा – दोस्तों आज हम इस थर्ड डिवीजनर्स कान्फ्रेन्स में ‘करो या मरो’ का नारा लगाएँगे। अध्यापक की नौकरी के लिए हम थर्ड डिवीजनर्स के पास सबसे ज्यादा संख्या है। इस पर फर्स्ट-सेकिण्ड डिवीजन वालों ने धावा बोल दिया है। वे मास्टर की गद्दी छोड़े। इसके लिए हमें आन्दोलन करना होगा। इसके लिए वह युवक सभी बेरोजगार थर्ड डिवीजनर्स को ‘करो या मरो’ के लिए तैयार करता है।

V. निम्नलिखित वाक्यों को सूचना के अनुसार बदलिए:

प्रश्न 1.
तीन सौ अध्यापक चुने जायेंगे। (वर्तमानकाल में बदलिए)
उत्तरः
तीन सौ अध्यापक चुने जाते हैं।

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प्रश्न 2.
सभी सिफारिशें तिरस्कृत की गईं। (भविष्यत्काल में बदलिए)
उत्तरः
सभी सिफारिशें तिरस्कृत की जाएंगी।

प्रश्न 3.
पुलिस लोगों की रक्षा कर रही है। (भूतकाल में बदलिए).
उत्तरः
पुलिस लोगों की रक्षा कर रही थी।

VI. अन्य लिंग रूप लिखिए:

प्रश्न 1.
शेर, अध्यापक, मास्टर, साहब, युवक।
उत्तरः

  • शेर – शेरनी
  • अध्यापक – अध्यापिका
  • मास्टर – मास्टरनी
  • साहब – साहिबा
  • युवक – युवती

VII. अन्य वचन रूप लिखिएः

प्रश्न 1.
पुस्तक, गाड़ी, लड़का, बेटियाँ।
उत्तरः

  • पुस्तक – पुस्तकें
  • गाड़ी – गाड़ियाँ
  • लड़का – लड़के
  • बेटियाँ – बेटी

VIII. समानार्थक शब्द लिखिएः

प्रश्न 1.
सम्राट, अध्यापक, स्वतंत्र, प्रयत्न, सहायता।
उत्तरः

  • सम्राट – राजा
  • अध्यापक – शिक्षक
  • स्वतंत्र – आजाद
  • प्रयत्न – कोशिश
  • सहायता – मदद

IX. मुहावरेः

  • गोबर बारूद होना – नाकाम होना
  • नाक रगड़ना – गिड़गिड़ाना
  • हक मारना – अधिकार छीनना।

नालायक लेखक परिचयः

विवेकी राय का जन्म सन् 1923 नवंबर 20 को गाजीपुर जिले के सोनवानी नामक गाँव के किसान परिवार में हुआ। आप स्वयं को किसान साहित्यकार कहते हैं। अतीत के अभावग्रस्त जीवन, ग्रामीण शिक्षा और प्राइमरी स्कूल के शिक्षक से आरम्भ जीवन यात्रा को, उच्च शिक्षण संस्था’. में रीडर पद पर सेवा, बड़े लोगों से संपर्क-सान्निध्य तथा ख्याति प्राप्त रचनाकार के रूप में स्थापित हो जाने पर भी सादगी से परिचय में प्रस्तुति उनकी लेखकीय विश्वसनीयता का उत्कृष्ट साक्ष्य है।

प्रमुख कृतियाँ : काव्य – ‘अर्गला’, ‘रजनीगंधा’, ‘दीक्षा’। कहानी संग्रह – ‘जीवन परिधि’, ‘नयी कोयल’, ‘गूंगा जहाज’, ‘कालातीत’, ‘अतिथि’, ‘दलित विमर्श और विवेकी राय की कहानियाँ’ आदि।

प्रस्तुत ‘नालायक’ कहानी में मुख्य रूप से थर्ड डिविज़न में पास होनेवालों की मनोदशा को दर्शाया गया है। साथ ही इसमें बेरोजगारी जैसी व्यापक समस्याओं को उजागर किया गया है।

आज युवाओं में नौकरी के लिए होड़ लगी है। नौकरी पर ही निर्भर न रहकर, किसी न किसी काम पर या व्यवहार में जुट जाने की कला को अपनाना चाहिए। अंको के आधार पर ही नहीं बल्कि प्रतिभा के आधार पर भी युवकों को नौकरियों में अवसर मिले। इन विचारों को ध्यान में रखकर इस पाठ का चयन किया गया है।

नालायक Summary in Hindi

डॉ. विवेकी राय हिन्दी के प्रसिद्ध कहानीकार, उपन्यासकार तथा निबन्धकार हैं। उन्होंने ‘नालायक, कहानी में शिक्षा के क्षेत्र में गिरते हुए मूल्यों तथा फैलते हुए भ्रष्टाचार का पर्दाफाश किया है। उन्होंने परोक्ष रूप से शिक्षा के क्षेत्र में अध्यापकों का बौद्धिक-स्तर कायम रखने की ओर संकेत दिया है।

जनवरी महीने में एक दिन शहर में युवाओं की भीड़ जमा हुई थी। जहाँ देखों वहाँ पढ़े-लिखे नौजवानों का जमावड़ा समुद्र जैसा फैला हुआ था। पता चला कि ये सब जिला-परिषद के स्कूलों के लिए अनट्रेण्ड अध्यापकों के पद के लिए आवेदन-पत्र देने आये बेरोजगार थे। अध्यापकों की जगहें केवल 300 थीं, जब कि आवेदक दस हजार से ज्यादा थे। उन उम्मीदवारों में कुछ उदास थे, कुछ मौन थे, तो कई जोशीले थे। उनकी आँखों से आग निकल रही थी। इन उम्मीदवारों की हालत बड़ी विचित्र थी। कई लोग सिफारिशी-पत्र लाये थे, तो कई थर्ड डिविजन में उत्तीर्ण थे।

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जिला परिषद अध्यक्ष का कार्यालय बेरोजगार युवा-पीढ़ी से भरा हुआ था। पैर रखने की भी जगह नहीं थी। चारों ओर खलबली मची हुई थी। सब लोग परिषद के अध्यक्ष की राह देखने लगे थे। लम्बे समय के बाद पता चला कि अध्यक्ष अपने बंगले पर ही हैं। सभी उस ओर चल पड़े। परिषद के अध्यक्ष घबरा गए। पल भर में पुलिस की गाड़ियाँ आईं। कोई पुलिसवाला लाउडस्पीकर से घोषणा करने लगा कि अध्यापक पद के लिए थर्ड डिविजन प्राप्त आवेदक जा सकते हैं। युवाओं में दहशत फैल गई। क्योंकि दस हजार लोगों में थर्ड डिविजन वाले ही ज्यादा थे।

कुछ समय के बाद अध्यक्ष के बंगले से दूर नदी के किनारे, मैदान में सभी इकट्ठे हुए। उनमें से कुछ नेता गण आये। लाउडस्पीकर से ये उद्गार निकलने लगे – करो या मरो! थर्ड डिविजन वाले जिंदाबाद! कुछ युवा नेता गरजने लगे – क्या थर्ड डिविजनवाले शिक्षक पद के लिए नालायक हैं? ऐसा क्यों? सेकेन्ड या फस्ट डिविजन वालों ने कौनसा तीर मारा है? सरकार को झुकना पड़ेगा। “किसे मिले मास्टरी चान्स? थर्ड डिविजन मैट्रिक पास!” नारे आसमान में गूंजने लगे।

नालायक Summary in Kannada

नालायक Summary in Kannada 1
नालायक Summary in Kannada 2
नालायक Summary in Kannada 3
नालायक Summary in Kannada 4

नालायक Summary in English

Dr. Viveki Rai is a renowned writer of stories, novels and essays in Hindi. In this story, he sheds light on the falling standards and increasing corruption in the field of education. He says that in the field of education, teachers must maintain a steady state of mind.

One day in the month of January, there was a large congregation of youths in the town. As far as the eye could see, there were educated young people assembled like an unending ocean. It soon became clear that these youths were all unemployed, and hand-assembled in order to hand in their applications for the post of untrained teachers in the Zilla Parishad’s schools. There were only 300 posts while the number of applicants exceeded 10,000. Among the applicants, some were dejected and some were silent, while others were very enthusiastic and brimming with confidence. There was a burning fire in their eyes. It was a strange collection of applicants. While some of the applicants had come with glowing recommendation letters, others had barely managed to pass with a third division.

The office of the president of the Zilla Parishad was filled to the brim with unemployed youths. There was no place even to stand. The whole office was engulfed in commotion. Everyone was waiting for the arrival of the Zilla Parishad President. However, it became known that the President was at his bungalow. The whole crowd then began to proceed in that direction. Seeing such a large crowd coming towards his residence, the president was scared. The police was called in, and they soon arrived in police vans. One of the policemen made an announcement on the loudspeaker. He informed the crowd that all those applicants who had cleared their exams with a third division could leave, as they would not be considered for the post. Hearing this, panic gripped the entire crowd as most of them were third division pass.

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After some time, most of the crowd had reassembled on the banks of the river, far away from the president’s bungalow. Some of the members in the crowd were involved in politics. Their cries were heard from the loudspeaker – “Do or Die!”, “Long live the third division!” Some youth leaders began to give speeches, asking whether third division applicants were unworthy of a teacher’s post. They wanted to know how people with second or even first division were better than them. They said that the government would have to bow to their demands. Slogans like “Who should get the teacher’s job? Third division metric pass!” began to resonate across the sky.

कठिन शब्दार्थः

  • मवेशी – जानवर;
  • बकलम – हस्ताक्षर;
  • मुंड – सर;
  • फतह – जीत;
  • ढाठा – डंठल;
  • खांची – टोकरी;
  • भुसहुड़ – भूसे का ढेर;
  • हरजाना – भरपाई;
  • चरितार्थ – हकीकत;
  • दुत्कार – तिरस्कार;
  • मुर्रिसी – मास्टरी।

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